Breaking News New

Story Sarvashakti Raj Comics Sarvnayak Series Part 8

Rate This Post:

Story - Sarvashakti | Sarvnayak -8


लेखक: नितिन मिश्रा | चित्रांकन: सुशांत पंडा, हेमंत कुमार | स्याहिकार: विनोद कुमार, ईश्वर आर्ट्स, स्वाति । रंगसज्जा: बसंत पंडा, अभिषेक सिंह । शब्दांकन: नीरू, मंदार । संपादक: मनीष गुप्ता 

संख्या/कोड: SPCL-2615-H  |  भाषा: हिंदी  |  पृष्ठ: 96 | मूल्य: 90.00  

 

Rate Please:                  



My Ratings: 4/5          RC Official Rating: N/A


Story-Sarvashakti-Sarvnayak-Series-Part-9


कहानी सर्वशक्ति | सर्वनायक सीरीज राज कॉमिक्स:


सर्वशक्ति, सर्वनायक श्रृंखला का आठवाँ भाग, इस कॉमिक में न केवल डोगा और योद्धा के बीच शक्ति आज़माइश हुई बल्कि और भी कई नायकों एवं खलनायकों ने भी अपना दमखम परखा। या फिर यूं कहिए की परख रहे हैं।
सर्वशक्ति में क्या अच्छा रहा और क्या खराब इसके बारे में हम विस्तारपुर्वक बात करेंगे सर्वक्रांति की समीक्षा, में फिलहाल हम बात कर रहे हैं इसकी कहानी की। तो आइये जानते हैं क्या कुछ घटित हुआ कॉमिक सर्वशक्ति में।


 नोट:- पूरी कॉमिक्स में कहीं भी घटनाक्रम नंबर्स में नहीं दिखाए गए हैं। यहाँ पर दिए गए दृश्य नंबर्स का मकसद केवल पाठकों को घटनाक्रम समझाना है।


कहानी सार:

दृश्य 1: प्रस्तावना: तमस का बेटा -
एंथोनी, जैकब, लोरी और कपाल कुण्डला मिलकर ड्रैकुला और सघम को खोजने निकलते हैं की तभी तमस का बेटा निशाचर उनका रास्ता रोक लेता है। लोरी एंथोनी, जैकब, और कपाल कुण्डला को निशाचर के बारे में बताती है की कैसे पिछली बार ध्रुव और डोगा ने मिलकर उसे रोका था। लेकिन अब निशाचर आज़ाद था और इसकी बजह थे, परमाणु और शक्ति. गर्वग्रह के निर्माण के वक़्त उन्होंने अनजाने में ही निशाचर को आज़ाद करवा दिया था. निशाचर को रोकने के लिए जैकब और कपाल कुंडला कोशिश करते हैं, जो नाकाम साबित होती है. लेकिन एंथोनी अपनी ठंडी आग से निशाचर पर काबू पा लेता है. चारों मिलकर उसे ज़मीन में दफना ही देते, कि तभी एक अनजान साया निशाचर के बेहोश शरीर पर कब्ज़ा कर लेता है.

दृश्य 2: प्रथम अध्याय - बल और बुद्धि -
डोगा और योद्धा के बीच पांचवी और निर्णायक स्पर्धा शुरू होती है, यह स्पर्धा है हस्तद्वंद यानी आर्म रेसलिंग मैच। एक साधारण मनुष्य के मुकाबले डोगा योद्धा के विरुद्ध काफी देर तक टिका रहता है, इस से योद्धा अचरज में पड़ जाता है। लेकिन देव शिरोमणि योद्धा के सामने भला एक मनुष्य की क्या बिसात। डोगा का अधिक समय टिकना मुश्किल लग रहा था। तभी असुरराज शम्भूक एक चाल चलता है, वह अपने पसीने के माध्यम से डोगा को अतिरिक्त बल प्रदान करता है। उसका वह पसीना जो बहते हुए डोगा के पैरों तक जा पहुंचा था और डोगा के जूते की सोल के फटे होने के कारण उसके शरीर के संपर्क में था। पासा एकदम से डोगा के हक़ में पलट जाता है। पुर्वकाल के प्रतियोगियों को शक होता है। युगम उनकी शंकाओं को मिटा कर असलियत उन्हें बता देता है, और साथ ही उन्हें अप्रत्यक्ष अनुमति भी दे देता है। शुक्राल की योजना पर कार्य करते हुए प्रचंडा सभी की नजरों से ओझल सूक्ष्म रूप में प्रतियोगिता स्थल पर जा पहुँचता है। लेकिन प्रचंडा का यह सूक्ष्म रूप इंस्पेक्टर स्टील की आखों में लगे शक्तिशाली कैमरों की नजर से बच नहीं पाता। प्रचंडा को रोकने हेतु कलयुग के महानायक परमाणु को भेजते हैं। परमाणु और प्रचंडा एक बार फिर से आमने सामने हैं, लेकिन एक अलग मकसद के साथ। दोनों एक दुसरे से उलझ जाते हैं। कुछ समय तक लड़ने के पश्चात दोनों ही समझ जाते है कि लड़ना व्यर्थ है और प्रचंडा परमाणु को स्थिति से अवगत करवाता है। परमाणु उसी रास्ते से डोगा के शरीर के भीतर जाने का प्रयास करता है, जहाँ से शम्भूक का पसीना जा रहा था। परमाणु जैसे ही पसीने के संपर्क में आता है, उसके शरीर में मौजूद महर्षि कणाद के कण की वजह से पसीने की धार जल उठती है। इससे डोगा का ध्यान पलभर के लिए भटकता है और योद्धा मौका नहीं चूकता। और इसी के साथ पाँचवी और निर्णायक स्पर्धा जीत कर योद्धा प्रतियोगिता अपने नाम कर लेता है। अब दोनों ही दल 2-2 अंकों के साथ बराबरी पर हैं।

अगली प्रतियोगिता भेडिया और अश्वराज के बीच कालरण में ही शुरू होता है। भेड़िया को दी जाती है घोड़े के काठि, जो उसे अश्वराज पर बांधनी है। दूसरी और अश्वराज को मिलता है पट्टा, जो उसे भेडिया के गले में बांधना है। प्रतियोगिता आरम्भ होती है, अश्वराज की बिजली सी फुर्ती के समक्ष भेड़िया को मुश्किल पेश आती है। लेकिन भेड़िया दिमाग और अपनी पूंछ का उपयोग करता है। वह अश्वराज को क्रोध दिलाता है उसे उकसाता है, और फिर चालाकी से अपनी पूँछ द्वारा अश्वराज के हाथ पाँव बाँध उसपर काठी बाँध देता है। इसी के साथ भेड़िया पहली स्पर्द्धा जीत लेता है। 
दूसरी स्पर्धा शुरू होती है धरती के उपग्रह चंद्रमा पर। अवधि दोनों को बताती है कि उन्हें रहस्यमयी मोबोस और फोबोस के अनन्तकाल से चले आ रहे युद्ध का अंत कर परिणाम निकालना है। मोबोस और फोबोस के बारे में सुन कर भेडिया को अपना गुजरा कल, अपने दो अलग रूप कोबी और भेड़िया और साथ ही जेन की याद आ जाती है। अश्वराज मोबोस की सौम्य शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है वहीँ भेडिया फोबोस की विध्वंसक और हिंसक शक्तियों धारण करता है। शक्तियां भेड़िया और अश्वराज में समाती हैं और शुरू होती है दूसरी स्पर्धा। फोबोस की विध्वंसक और हिंसक शक्तियों के कारण भेडिया आक्रमक और हिंसक हो जाता है, वहीँ मोबोस के असर से अश्वराज बेहद सौम्य हो जाता है। दोनों के शरीरों में खिंचाव शुरू हो जाता है, परिणामस्वरूप भेडिया का शरीर एक बार फिर से दो हिस्सों में बंट जाता है। कोबी और भेड़िया फिर से अलग हो जाते हैं।

दृश्य 3: द्वितीय अध्याय - त्रिमुंड -
धरती पर विशाल हिंद महासागर को सर्वमंथन द्वारा मथने का कार्य विस्तृत ब्रह्माण्ड रक्षकों और आई.सी.यु के मध्य ज़ोरों से चल रहा था। परन्तु आई.सी.यु का दल इसमें कमजोर पड़ रहा था, ब्रह्माण्ड रक्षकों यानी किरीगी, सामरी, जिंगालू, पंचनाग इत्यादि के मुकाबले वह बल में बहुत कम साबित हो रहे थे। महात्मा कालदूत भी इस असंतुलन को भांप गए थे और इसी वजह से अशुद्ध शक्तियां भी मंथन से बहार नहीं आ पा रही थी। इसलिए उन्हें और शक्तिशाली खलनायकों को इस मंथन में समिलित करना था। लेकिन तक़रीबन वह सभी खलनायक जो आना चाहते थे, वह पहले ही आ चुके थे। अब जरूरत थी किसी ऐसे शख्स की जो अन्य महाखलनायकों से संपर्क जोड़ कर उन्हें इस मंथन में सहयोगी बना सके। तभी तामसिक तंत्र विद्या का महाज्ञाता तान्त्रिक तंत्रता वहां आ पहुंचता है और ऐसा करने के लिए सहमत हो जाता है। शीघ्र ही तंत्रता का तान्त्रिक जाल फैलने लगता है। उस स्थान से कई मील दूर ड्रैक्युला, बोर्डेलो और सघम भी अपनी अपनी शक्तियों के विस्तार और धरती पर अपना आधिपत्य स्थापित करने में लगे थे। तभी तंत्रता का तान्त्रिक जाल उस स्थान से गुजरता है, सघम उस तंत्र जाल से मंथन के बारे में जान जाता है। सघम महापापियों को अमृत पिला कर खुद को और अधिक शक्तिशाली बनाने के योजना बनाता है। जब सभी महापापी अमर हो जाएंगे तो अनंतकाल तक धरती पर पाप रहेगा और इसका सीधा फ़ायदा सघम को ही मिलेगा। क्योंकि उसकी शक्तियों का स्रोत पाप ही है। दूसरी तरफ ड्रैक्युला और बोर्डेलो भी एक योजना बनाते हैं, सघम से त्रिमुंड हथियाने की योजना। इस सब से अनजान सघम हिन्द महासागर की ओर निकल पड़ता है, लेकिन पहले वो त्रिमुंड को सुरक्षित करना चाहता है। वह नदी के किनारे एक बरगद की खोह में त्रिमुंड को छुपा देता है, और हिंद महासागर जा पहुँचता है। बरगद के शाख पर बैठा उल्लू ये सब देख लेता है, और वह त्रिमुंड को लेकर अपने मालिक के पास जा पहुँचता है। उस उल्लू का मालिक है अघोरी, और वह त्रिमुंड की शक्तियों के बारे में काफी कुछ जानता है।

दृश्य 4:  तृतीय अध्याय - देव शपथ
बीहड़ वन (असम), "प्रकृति की बेटी" की तलाश में आये प्रलयंका और धनंजय को प्रकृत अपना दुश्मन समझ बैठता है। वह धरतीवासियों को धरती के इस विनाश का कारण समझता है और उन्हें इसकी सजा देना चाहता है। प्रकृत धनंजय और प्रल्यंका को ख़त्म करने के लिए धूम्रकेतु, लावाला और मंथक को बुलाता है। प्रल्यंका धनंजय की मदद करने की कोशिश करती है और प्रकृत पर आणविक हमला करती है। प्रकृत धूम्रकेतू के वार से प्रल्यंका को जवाब देता है, और इससे वह मुश्किल में पड़ जाती है। धनंजय अपने स्वर्ण यंत्रों की सहायता से कुछ देर तक उन्हें रोकने में सफल होता है, लेकिन वह फिर हावी हो जाते हैं। और इस बार तीनों के सयुंक्त हमले से धनंजय और प्रल्यंका का बच पाना मुश्किल लग रहा था। लेकिन तभी प्रकृत की शक्तियां दुसरी तरफ खिंचना शुरू हो जाती हैं। प्रकृत हैरान है की आखिर कौन है इतना शक्तिशाली, जो उसकी शक्तियों को बस में कर सके। उसे जवाब मिलता है प्रकृति की बेटी के रूप में। प्रकृति ने अपनी बेटी को जागृत कर दिया है, और इस ब्रह्मांड की किसी भी सृष्टि में ऐसी कोई प्राकृतिक शक्ति नहीं जो उससे जीत सकते। प्रकृति प्रकृत को बताती है कि क्षुद्र ग्रहों के हमले से बहुत पूर्व ही मुझे इसके संकेत मिल गए थे। और इस सम्स्या के निदान एक ही था, ऐसी शक्ति का निर्माण जो क्षुद्र ग्रहों द्वारा प्रकृति के विनाश के बाद सृष्टि का पुनःसृजन कर सके। मैंने अपनी समस्त शक्तियों के अंश लेकर प्रकृति की बेटी यानी पर्यावा का सृजन किया। और फिर परमाणु को भी मैंने ही पर्यावा तक पहुंचने का मार्ग बताया। ताकि भविष्य में मानव पर्यावा की शक्तियों का उचित प्रयोग कर सकें।

लेकिन इस कार्य में एक प्रमुख समस्या थी, पर्यावा का मस्तिष्क किसी नवजात शिशु के समान ही है और उसे इस संसार का कोई ज्ञान नहीं। तो वह इस युद्ध में विजयी कैसे होगी। इस समस्या का हल धनंजय के पास है, उसका उन्नत विज्ञान। जिससे कुछ ही समय में पर्यावा को उतना ज्ञान दिया जा सकता है, जितना की स्वर्ण नगरी वासियों ने अब तक एकत्र किया है। इसके साथ ही देवपुत्र धनंजय पर्यावा को अपनी बहन स्वीकार करता है और उस पर आने वाले हर संकट को अपने ऊपर लेने का बचन देता है।

दृश्य 5: चतुर्थ अध्याय (भाग 1) युवा -
गर्वग्रह, जहाँ धरती की लोगों को उनकी सुरक्षा के लिए रखा गया है। लेकिन वो कहते हैं न की मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन और कोई नहीं बल्कि खुद मनुष्य ही है। लोग गर्वग्रह के भीतर भी धर्म के नाम पर लड़ना शुरू हो जाते हैं, दंगे करने लगते हैं। ऐसे में इन लड़ाईयों और दंगों को रोकने आते हैं यमराज पुत्र गमराज और उसका साथी शंकालु। गमराज के समझाने पर भी लोग नहीं मानते। तभी पास वाले सेक्टर में कोलाहल मच जाता है। शंकालु बताता है कि उस सेक्टर का एक पिलर टूट गया है और कई लोग मलवे में दब कर घायल हो गए हैं। वहाँ पहुच कर दंगाई लोग देखते हैं की हर कोई बिना भेदभाव, जाती और धर्म की चिंता किये बिना एक दुसरे की मदद कर रहा हैं। ये देख वह शर्मसार हो जाते है और उनके हाथों से हथियार छूट जाते हैं।

दृश्य 6: चतुर्थ अध्याय (भाग 2) -यांत्रिकों का उद्गम
भूतपुर्व पुलिस कमिश्नर राजन मेहरा, जोकि अब वॉर (WAR) के एक उच्च अधिकारी हैं मदद मांगने के लिए सुप्रीम हेड के पास आते हैं। सुप्रीम हेड वो पहला महाखलनायक था जिसने विश्व आबादी को गर्वग्रह में स्थानांतरित किये जाने के समय सबसे पहले आत्मसमर्पण किया था। इसलिए राजन मेहरा ने उसे और उसकी लैब को गर्वग्रह की एक गुप्त यूनिट में रखा था। राजन मेहरा कहते हैं कि अगर लोगों को गर्वग्रह से बाहर नहीं निकाला गया तो सब यहीं पर दफन हो जाएंगे। और बिना ब्रह्माण्ड रक्षकों की मदद के यह फिलहाल असंभव लग रहा है। सुप्रीम हेड अपने वादे अनुसार मदद के लिए तैयार हो जाता है और कहता है कि वह सभी को तो नहीं लेकिन तीन ब्रह्माण्ड रक्षकों को वापस ला सकता है। फिर वह राजन मेहरा को यांत्रिक रक्तबीज दिखता है, जिन्हें उसने और किंग लूना ने मिलकर बनाया है। ये यान्त्रिक रक्तबीज जेविक कोशिकाओं और यन्त्रों को मिलाकर बनाए गए हैं। और ये तीन यान्त्रिक रक्तबीज हैं नागराज, भेड़िया और शक्ति के।

दृश्य 7: परिशिष्ट - द्वापरयुग विशालगढ़
बांकेलाल नागों से कोई दिव्य शक्ति चुरा कर अपने घोड़े बादशाह पर सवार भागे जा रहा है। और ये शक्ति उसे किसी विशेष स्थान की और जाने के निर्देश देती है। बांकेलाल नागों से पीछा छुड़ाने में सफल होता है। बादशाह बांकेलाल को एक गुफा के सामने लाकर पटक देता है। बांकेलाल के हाथों में दिखती है चमचमाती मूर्ती त्रिफना, त्रिफना ही ये दिव्य शक्ति है जिसे चुराकर बांकेलाल भाग रहा था। और त्रिफना उसे इसी गुफा की ओर जाने के निर्देश दे रही थी।


आगे की कहानी जारी रहेगी सर्वागमन में,

अगर अपने अब तक कॉमिक नहीं खरीदी है, तो कॉमिक का आनद उठाने के लिए राज कॉमिक्स ऑनलाइन स्टोर पर आज ही अपना आर्डर करें।

दोस्तों, आपको कॉमिक और कहानी कितनी पसंद आई ? ऊपर दिए गए रेटिंग स्केल का उपयोग कर इस कॉमिक को रेट करें। साथ ही अपनी प्रतिक्रिया कमेंट्स के रूप में दें।

Looking for the Review? 

Review - Sarvashakti


Rate This Post:

Author-avatar

Hi Friends,
Welcome to the world of comics, welcome to Raj Comics Info.
To reach the entire world Our Indian SuperHeroes need your support.
Share this Blog, Articles and Reviews ---- As Much As You Can.
Keep the JANNON alive

Subscribe Us via Email :
Related Posts:

0 comments:

Post a Comment

//]]>