Story - Brahmand Vikhandan | Aakhiri Rakshak-6
लेखक: नितिन मिश्रा । कला निर्देशन: सुशांत पंडा । चित्रांकन:तादम ग्यादू । स्याहिकार: विनोद कुमार । रंगसज्जा: बसंत पंडा । शब्दांकन: नीरू, मंदार । संपादक: मनीष गुप्ता
संख्या/कोड: SPCL-2609-H | भाषा: हिंदी | पृष्ठ: 64 । मूल्य: 60.00
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हर गृह अब रणभूमी बन चुका है। पृथ्वी के कई सुपर हीरोज और विलन अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिए सामना कर रहे हैं ब्रह्माण्ड के अनेकों योद्धाओं का, उनके ही ग्रहों पर। हर सुपरहीरो पूरी कोशिश में है की किसी भी तरह से रोक लिया जाए ये 'ब्रह्माण्ड विखंडन'। ये है सार 'ब्रह्माण्ड विखंडन' कॉमिक्स का, आइए एक नजर डालते हैं इस कॉमिक पर और देखते हैं, क्या कुछ हुआ कॉमिक 'ब्रह्माण्ड विखंडन' में।
कहानी - ब्रह्माण्ड विखंडन | आखिरी रक्षक श्रृंखला | राज कॉमिक्स
नोट:- पूरी कॉमिक्स में कहीं भी घटनाक्रम नम्बरों में नहीं दिखाए गए हैं, यहाँ पर दिखाए गए दृश्य नंबर्स का उद्देश्य केवल पाठकों को कहानी समझाना है।
दृश्य 1 - ईरी के जंगल, भारत, वर्तमान समय:
एंथोनी और प्रेत अंकल सामना कर रहे हैं पिप्सोन गृह के रक्त-पिपासुओं की गुलाम ज़ॉम्बीज़ का। कुछ ही देर में एंथोनी और प्रेत अंकल की जोड़ी इन ज़ॉम्बीज़ का सफाया कर देती है। दोनों अपनी इस जीत की खुशी मना पाते, इससे पहले ही प्रिंस अचानक भयभीत होकर अपनी कर्कश आवाज में चिलाने लगता है। सामने नजारा देख एंथोनी और प्रेत अंकल के होश उड़ जाते हैं।
दृश्य 2 - अस.ऐ.टी.आई , भारत, वर्तमान समय:
नागराज परमाणु को इव्रित विकराल और उसकी लैब में घटी घटना के बारे में बता रहा है। नागराज बताता है की, "उस धमाके के बाद सी-थ्रू की शक्तियां काफी ज़्यादा बढ़ गयी थी। उसके पहले वार से मैंने यह अंदाजा लगा लिया कि उसकी शक्तियां कितनी बढ़ गयी हैं और प्रचण्ड हो गयी है। सी-थ्रू का हर वार एक एटॉमिक ब्लास्ट जितनी शक्ति समेटे हुए था। उसके लिए इस दुनिया का सर्वनाश करना मामूली बात थी। पृथ्वी को ऐसे किसी नुक्सान से बचाने के लिए मैं उसे सुदूर अंतरिक्ष ले गया। लेकिन मैं हैरान था कि सी-थ्रू अंतरिक्ष के निर्वात में न केवल जीवित था, बल्कि मुझ पर घातक प्रहार करने में भी सक्षम। न जाने कितनी ही देर तक बिना किसी परिणाम के हम दोनों में युद्ध चलता रहा। सी-थरु ने मुझसे कहा की इव्रित विकराल का शरीर कोई मामूली शरीर नहीं है, इसलिए वह इस ब्रम्ह कण की ऊर्जा को सहन कर सकता है। अचानक तभी सी-थ्रू दर्द से कराह उठा। मानो उसके शरीर में दो अलग अलग शक्तियों का द्वंद्ध चल रहा हो। जल्दी ही उस दुसरी रहस्यमयी शक्ति ने सी-थरु और इव्रित विकराल दोनों शख्सियतों पर अपना पूरा कब्ज़ा जमा लिया। अब मेरे सामने खड़ा शख्स न तो इव्रित विकराल था और न ही सी-थ्रू, वह खुद को विकृत बुला रहा था। ये नयी रहस्यमयी ताकत विकृत जो भी था, ये इव्रित विकराल के शरीर में समाहित शक्तिओं को सी-थ्रू से कहीं ज़्यादा बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर रहा था। उसके वार बेहद खतरनाक थे, तभी उसका एक बार मुझे लगा। उसके एक ही वार में मुझे इच्छाधारी कणों में विखंडित कर दिया। वह वार इतना प्रचंड था कि इच्छाधारी कणों में विखण्डित हुआ मेरा शरीर पूरे ब्रह्मांड में बिखर गया। मेरे प्रत्येक इच्छाधारी कण को मेरे अस्तित्व का आभास था, लेकिन इन कणों को जोड़ पाना मेरे मानस रूप के लिए बहुत ही ज़्यादा मुश्किल था। क्योंकि ये कण अनंत अंतरिक्ष में बिखर चुके थे। मेरा मानस रूप अभी भी वहीं मौजूद था और वह विकृत का सामना करने में बिलकुल असक्षम था। विकृत मेरे मानस रूप को भी ख़त्म कर ही देता, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। अचानक सैकड़ों सूर्यों की ऊष्मा जैसी एक प्रचंड शक्ति वहां से गुजरी। उसके गुजरने से वहां एक ज़बरदस्त गुरुत्वाकर्षण पैदा हुआ। उस गुरुत्वाकर्षण ने मेरे इच्छाधारी कणों को खिंच लिया और मेरे मानस शारीर ने फ़ौरन खुद को जोड़ लिया।"
परमाणु बताता है की वो शक्ति में था, "मैं धरती पर गिर रही उल्काओं को ख़त्म करने सूर्य की तरफ ले जा रहा था"।
नागराज आगे की घटना बताना शुरू करता है, "विकृत और मेरे बीच दुबारा युद्ध शुरू हो गया। विकृत एक बार मुझे विखण्डित कर चुका था और वह ऐसा दुबारा भी कर सकता था। मेरे पास उसका सामना करने लायक कोई शक्ति नहीं थी। मैं केवल उसके वारो को ही उसपर परिवर्तित कर सकता था और ऐसा करने के लिए मुझे कोई साधन चाहिए था। ऊपर वाले ने मेरी सुन ली और धरती से तीव्र गति में एक प्रकाश पुंज निकला। मैं विकृत के वार के रास्ते से हट गया और वह वार सीधे उस प्रकाश पुंज से टकराकर परिवर्तित हुआ और विकृत ही उसका निशाना बन गया। विकृत का शारीर विखंडित हो गया। यह सब इतना जल्दी घटित हुआ कि मैं उस प्रकाश पुंज को अच्छे से नहीं देख सका। इसके बाद मैं धरती पर वापस लौट आया और यहाँ आकर मैंने तुम्हे मशीनों से झूझते पाया।
तभी परमाणु को परग्रहियों के धरती पर आने के तीव्र संकेत प्राप्त होते हैं। लेकिन ये परग्रही ट्रांसफ्यूज़ होकर नहीं बल्कि धरती पर आक्रमण करने आ रहे हैं। जहाँ से ये तीव्र संकेत आ रहे हैं वहां एक ब्रह्माण्ड रक्षक पहले से ही मौजूद है और वो है 'पापा फेयरी'।"
परमाणु बताता है की वो शक्ति में था, "मैं धरती पर गिर रही उल्काओं को ख़त्म करने सूर्य की तरफ ले जा रहा था"।
नागराज आगे की घटना बताना शुरू करता है, "विकृत और मेरे बीच दुबारा युद्ध शुरू हो गया। विकृत एक बार मुझे विखण्डित कर चुका था और वह ऐसा दुबारा भी कर सकता था। मेरे पास उसका सामना करने लायक कोई शक्ति नहीं थी। मैं केवल उसके वारो को ही उसपर परिवर्तित कर सकता था और ऐसा करने के लिए मुझे कोई साधन चाहिए था। ऊपर वाले ने मेरी सुन ली और धरती से तीव्र गति में एक प्रकाश पुंज निकला। मैं विकृत के वार के रास्ते से हट गया और वह वार सीधे उस प्रकाश पुंज से टकराकर परिवर्तित हुआ और विकृत ही उसका निशाना बन गया। विकृत का शारीर विखंडित हो गया। यह सब इतना जल्दी घटित हुआ कि मैं उस प्रकाश पुंज को अच्छे से नहीं देख सका। इसके बाद मैं धरती पर वापस लौट आया और यहाँ आकर मैंने तुम्हे मशीनों से झूझते पाया।
तभी परमाणु को परग्रहियों के धरती पर आने के तीव्र संकेत प्राप्त होते हैं। लेकिन ये परग्रही ट्रांसफ्यूज़ होकर नहीं बल्कि धरती पर आक्रमण करने आ रहे हैं। जहाँ से ये तीव्र संकेत आ रहे हैं वहां एक ब्रह्माण्ड रक्षक पहले से ही मौजूद है और वो है 'पापा फेयरी'।"
दृश्य 3 - ब्रह्माण्ड की कोई अज्ञात जगह, उसी समय:
ध्रुव ट्रांसफ्यूज़ होकर एक दिव्य परिषद् के समुख पहुँच जाता है। इस परिषद् का कार्य है ब्रह्माण्ड की असंख्य आकाशगंगाओं और उनमें बसने वाली विभिन्न सभ्यताओं में संतुलन बनाये रहना। परिषद् प्रमुख ध्रुव को बताता है कि ब्रम्ह कण की शक्ति संपुर्ण ब्रह्माण्ड में संतुलन कायम रखती है। ब्रम्ह कण की ऊर्जा ब्रह्माण्ड के कण-कण में मौजूद है, लेकिन ये निष्क्रिय रहती है। निष्क्रिय उर्जा को क्रियान्वित करती है एक 'कूट कुंजी' (पासवर्ड)। इस कूट कुंजी की गणना केवल हम दिव्य परिषद् सदस्य ही कर सकते थे। परंतु तुमने अनजाने में ही इस कूंजी की गणना कर ली और ब्रम्ह कण की ऊर्जा क्रियान्वित हो गयी। हम इस ऊर्जा को नियंत्रित कर सकते थे, परंतु अब ये एक आसुरी ताकत के हाथ लग चुकी है। आसुरी ताकत कलयुग मैं? ध्रुव द्वारा पूछे गए इस सवाल के जवाब में परिषद् प्रमुख ध्रुव को त्रेतायुग की एक घटना सुनाता है, "त्रेतायुग में असुरराज विकृताल के आगे तीनों लोक कांपते थे। केवल बल और युद्ध कौशल का ही नहीं, विकृताल शास्त्रों का भी महाज्ञाता था। अपने शोधों से उसने ब्रम्ह कण की ऊर्जा का ज्ञान पा लिया। परंतु वह कभी इस ऊर्जा को क्रियान्वित नहीं कर सका और न ही कर सकता था। इसलिए उसने कूट-कूंजी का तोड़ हासिल करने के हेतु ब्रह्मा जी की घोर तपस्या शुरू कर दी। उसकी इस घोर तपस्या से स्तिथि इतनी विकट हो गयी कि ब्रम्हा जी को आकर उसे वरदान देने पर विवश होना पड़ता। लेकिन पंचमहाभूत शक्तिधारक महनायक प्रचंडा ने ऐन समय पर आकर विकृताल को रोक लिया। महानायक प्रचंडा को स्वयं महादेव ने भेजा था। पंचमहाभूत की शक्ति देवताओं के पास भी नहीं थी और विकृताल को केवल पंचमहाभूत शक्ति द्वारा ही परास्त किया जा सकता था। प्रचंडा की पंचमहाभूत शक्तियों के आगे विकृताल ठहर न सका और मारा गया। इसके बाद विकृताल ने अनेकों जन्म लिए और इस समयकाल में उसका जन्म हुआ प्रॉफेसर इव्रित विकराल के रूप में। उसे अपने पुर्व जन्मों और अपने आसुरी अस्तित्व का बिलकुल भी बोध नहीं था। परन्तु ब्रम्ह कण की ऊर्जा प्राप्त करने की उसकी तीव्र इच्छा केवल आज से ही नहीं थी। उसके पुर्व जन्मों से चली आ रही इस इच्छा ने उसे इस जन्म में भी प्रेरित किया और वह तुम्हारे जरिये इसमें सफल भी हुआ।"
ध्रुव कहता है अगर ये सब उसकी वजह से हुआ है तो इसकी भरपाई भी वही करेगा। परिषद प्रमुख ध्रुव से कहता है की उसे हर उस गृह पर जाना होगा, जो ब्रम्ह कण की शक्ति के असंतुलित होने की वजह से प्रभावित हुआ है।
दृश्य 4 - ईरी के जंगल, भारत, वर्तमान समय:
एंथोनी और प्रेत अंकल की मुश्किलें धीरे-धीरे बढ़ रही थी, क्योंकि रक्त-पिपासुओं की तादाद भी बढ़ रही थी और वह पहले वालों से कहीं ज़्यादा ताकतबर भी थे। और ऐसा इसलिए था क्योंकि पिप्सोन गृह का शासक और रक्त-पिपासुओं का राजा पेपीयस स्वयं मैदान में आ चुका था। तभी एंथोनी और प्रेत अंकल के मदद के लिए वहां नागराज, परमाणु और कारा भी आ पहुँचते हैं।
दृश्य 5 - पृथ्वी से 7000 प्रकाश वर्ष दूर मेक्ट्रिम गृह, वर्तमान समय:
मैक्रोबोट को उसका सेना प्रमुख वर्टअॅनिक बताता है कि वह दोबारा नाकामयाब रहे। केवल वह ही नहीं इस बार तो हेज़त्रोज, कार्टेल्स, कोज्कोफ्स जैसे अन्य ग्रहों के योद्धा भी उत्तरजीवी को समाप्त करने धरती पर पहुंचे थे। परंतु एक देव शक्तिधारक मानव ने सभी ट्रूपर्स को भागने पर विवश कर दिया। और केवल इतना ही नहीं एक बुरी खबर और भी है, उत्तरजीवी और उस देव शक्तिधारक मानव के साथ धरती पर कारा को भी देखा गया है। मैक्रोबोट कहता है की उत्तरजीवी के साथ साथ अब उस हरे देव शक्तिधारक मानव और कारा को भी ख़त्म करना होगा। इन बढती मुश्किलों ने निजात पाने के लिए हमें अब 'ब्रह्माण्ड संहिता' तोड़नी होगी।
दृश्य 6 (भाग 1) - पृथ्वी से 10000 प्रकाश वर्ष दूर हेज़त्रोज गृह, वर्तमान समय:
तिरंगा हेज़त्रोज गृह के योद्धाओं का सामना कर रहा है। लेकिन उनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है जबकि तिरंगा इस लड़ाई में अकेला है। काफी देर तक उनका सामना करने के बाद तिरंगा खुद को बेबस पाता है और अब उसे अपना अंत अपनी मातृभूमि से कई प्रकाश वर्ष दूर एक अनजान गृह पर होता हुआ दिखता है। लेकिन तभी तिरंगा की मदद के लिए वहां आ पहुंचता है उसका पुराना दुश्मन 'कफ़न'। जोकि अब तिरंगा के साथ है। दोनों मिल कर दुश्मन का सामना करते हैं।
दृश्य 6 (भाग 2) - हेज़त्रोज गृह पर ही किसी अन्य जगह, वर्तमान समय:
इसी ग्रह पर एक अन्य जगह गगन और विनाशदूत भी हेज़त्रोज गृह के योद्धाओं का सामना कर रहे हैं। दोनों लगभग दुश्मनों का सफाया कर ही चुके हैं। हारता हुआ हेज़त्रोज गृह का योद्धा गगन और विनाशदूत को कुछ बुरी ख़बरें सुनाता है। पहली, ब्रम्ह कण की ऊर्जा क्रियान्वित हो चुकी है और ये हुआ है एक पृथ्वीवासी की वजह से। दुसरी, पृथ्वी पर पिप्सोन गृह के रक्त-पिपासुओं ने आक्रमण कर दिया है। तीसरी, ब्रह्माण्ड के सभी चरमपंथी ग्रह पृथ्वी के समूल विनाश के लिए संधि कर चुके हैं। और पृथ्वीवासियों के समूल विनाश के लिए सेनाएँ यहाँ भी आ पहुंची है। ऐसे में अचानक से परग्रहियों का पलड़ा भारी हो जाता है। गगन और विनाशदूत की मुश्किलें बढ़ जाती है। तभी पृथ्वीवासियों को बचाने आ पहुँचता है 'सर्वशक्तिमान भीमकाय अडिग'। साथ ही इस युद्ध में शामिल हो जाते हैं टायफून, अंगार और गुणाकार जैसे कुछ धुरंधर विलेन भी। इन सब पृथ्वीवासियों की समिलित शक्ति का परग्रही सामना नहीं कर सकते, इस बात को सेना प्रमुख जल्दी ही समझ जाता है और मदद बुलाने का प्रयास करता है।
दृश्य 7 - पृथ्वी से 6 अरब प्रकाश वर्ष दूर एक अनाम गृह, वर्तमान समय:
इस गृह पर भेड़िया और शक्ति भीमकाय आदिवासियों का सामना कर रहे हैं। इन भीमकाय आदिवासियों के आदेशों का पालन कर नरभक्षी लताएँ भेड़िया और शक्ति पर आक्रमण करती हैं और उन्हें बंदी बना लेती हैं। शक्ति अंदाजा लगाती है की ये आदिवासी अपने होश में नहीं हैं, इनके सरों पर मंडराता काल साया इन पर कब्ज़ा किये उए है। तभी वहां वनपुत्र आ पहुँचता है और दोनों को आजाद करवाता है। तीनो मिलकर दुश्मनों का सामना करते हैं। आदिवासी मदद के लिए विशालकाय जानवरों और पक्षियों को बुला लेते हैं। अब तक वह काला साया केवल आदिवासियों के दिमागों पर ही कब्ज़ा किये हुए था, लेकिन अब वह सभी जानवरों और पक्षियों के दिमागों पर भी कब्ज़ा कर लेता है। अचानक उनकी शक्तियां बढ़ जाती है और वह मानसिक वार करना शुरू कर देते हैं। तीनों कमजोर पड़ने लगते हैं, तभी वहां ध्रुव भी आ पहुँचता है। ध्रुव वनपुत्र से कहता है कि सभी वनस्पतियों को आदेश दे कि जिस किसी पर भी काला साया दिखे उसे बंदी बना ले। साथ ही ध्रुव भेड़िया को उसकी भेडिया फ़ौज बुलाने को कहता है, जोकि उनकी ही तरह इस गृह पर ट्रांसफ्यूज़ हुई है। वनपुत्र के आदेश पर वनस्पतियों द्वारा बंदी बनाये गए दुश्मनों को भेड़िया फ़ौज झंझोड़ डालती है। इस सब के बीच ध्रुव ये अंदाजा लगाने में सफल होता है कि इन काले सायों का होस्ट कौन है और ये किस तरह से कार्य कर रहा है। अब ध्रुव ये जान गया है कि इस युद्ध को जीतने के लिए अपने सहयोगियों की संख्या बढ़ानी होगी और इसके लिए वह बुलाता है गरुडा, अल्फ़ान्टो, कईगुला, बागड़-बिल्ली, अंधी-धुंध और तनतना को।
आगे की कहानी जानने के लिए इन्जार कीजिये 'ब्रह्माण्ड विस्मरण' का।
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