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Story Adrishya Shadyantra - Aakhiri Series Raj Comics

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Story Synopsis of Comics Adrishya Shadyantra
Aakhiri Series 

लेखक: नितिन मिश्रा ।  चित्रांकन: हेमंत कुमार, तादम ग्यादु । स्याहिकार: विनोद कुमार । रंगसज्जा: भक्त रंजन । शब्दांकन: नीरू, मंदार । संपादक: मनीष गुप्ता

कोड/क्रम संख्या: SPCL-2599-H । भाषा: हिंदी । पृष्ठ: 32 | मूल्य: रु 40.00



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Story Adrishya Shadyantra - Pic 1

खिरी श्रृंखला में रचा गया है एक बेहद खतरनाक और अदृश्य षड़यंत्र। कई राजों पर से पर्दा उठ चुका है और कई गहरे राज़ अभी भी सामने आने को बेताब हैं। अब तक अगर हम कुछ जान पाएं हैं तो बस इतना की नागराज का पुराना दुश्मन "सी-थरु" एक बार फिर से लौट आया है। और इस बार उसने प्राप्त कर ली हैं कुछ ऐसी शक्तियां, जिनसे हो सकता है बर्ह्माण्ड का विनाश। तो कहाँ तक पहुंची "आखिरी श्रंखला" की कहानी और क्या कुछ हमने जाना, आइये एक नजर डालते हैं अदृश्य षड़यंत्र की कहानी पर।


कहानी सारांश - अदृश्य षड़यंत्र | आखिरी श्रृंखला राज कॉमिक्स


 नोट:- पूरी कॉमिक्स में कहीं भी घटनाक्रम नंबर्स में नहीं दिखाए गए हैं। यहाँ पर दिए गए दृश्य नंबर्स का मकसद केवल पाठकों को घटनाक्रम समझाना है।

कहानी शुरू होती है भेड़िया और शक्ति के घटनाक्रम से, जोकि इस श्रंखला के दूसरे भाग "परकलों की धरती" में अधूरी छूट गयी थी.

दृश्य 1: भेड़िया और शक्ति किसी अन्य ग्रह पर - भेड़िया और शक्ति का सामना होता है बहुत ही विशाल और दैत्याकार आदिवासियों से। लेकिन शक्ति की चमत्कारी और देविया शक्तियां आदिवासियों को घुटने टेकने पर विवश कर देती हैं। अपने ही हमले द्वारा लगाई गयी आग से शक्ति उन आदिवासियों की रक्षा करती है। जवाब में आदिवासी अपना आभार प्रकट करते हैं और शक्ति के आगे हथियार डाल देते हैं। लेकिन अचानक आदिवासियों के तेवर बदल जाते हैं और वह फिर से शक्ति और भेड़िया पर हमला शुरू कर देते हैं। उनकी पथराई आँखों के देखकर शक्ति अंदाजा लगाती है की वह ज़रूर किसी के वश में आकर हमला कर रहे हैं। आदिवासी उन दोनों पर हावी हो जाते है। आदिवासी शक्ति और भेड़िया को अपने विशालकाय पैरों से रोंधने ही वाले हैं, मौत उनसे बस खुछ ही क्षणों की दूरी पर है।



दृशय 2: एस.ऐ.टी.आई नई दिल्ली, भारत, वर्तमान समय - परमाणु के पूछने पर नागराज उसे बताता है कि इस ट्रांसफिउसन से बचने वाले केवल हम तीनों मैं तुम और ध्रुव ही नहीं, बल्कि एक चौथा शख्स भी है। और वो है प्रोफेसर इब्रित विकराल। नागराज परमाणु को बताना शुरू करता है,
"ब्रम्ह कण की मदद से प्रोफेसर इब्रित विकराल ने मुझसे मानसिक संपर्क स्थापित किया और मानव जाति के उत्थान हेतु मुझसे दिल्ली आने को कहा। मेरे दिल्ली पहुंचने पर उन्होंने बताया कि उन्हें अभी अभी ब्रम्ह कण की एक और अद्भुत शक्ति का पता चला है। ब्रम्ह कण की ऊर्जा में किसी को भी कहीं भी ट्रांसफ्यूज़ कर सकने के क्षमता है। यही ब्रम्ह कण ब्रह्माण्ड की संरचना और जीवन का मूलाधार है और इसकी ऊर्जा मनोभावों का अनुकरण करती है। हर मनोभाव में एक खास तरह की तरंगे होती हैं और आपराधिक मनोभाव की तरंगे सबसे अधिक शक्तिशाली होती हैं। अगर इस ब्रम्ह कण की ऊर्जा पर थोड़ा कार्य कर इसे विस्तृत किया जाए, तो यह अपने दायरे में आने वाले हर मनोभाव का विश्लेषण कर अपराधिक घटनाओं के संकेत ब्रह्माण्ड रक्षकों तक पहुंचा सकती है। सोचो, अगर तुम कहीं
भी घट रहे अपराध तक एक दम से पहुँच जाओ तो कितने अपराध होने से पहले ही रोक लिए जाएंगे। और इसके लिए मैंने तरंगें ग्रहण करने वाले रिसेप्टर डिवाइस बनाए हैं। ये डिवाइस ब्रम्ह कण की ऊर्जा से आने वाली तरंगों को ग्रहण कर उन्हें ब्रह्माण्ड रक्षकों तक पहुंचाएंगे। लेकिन अभी मैं केवल ऐसे दो ही डिवाइस बन पाया हूँ।
लेकिन इस कार्य में मुख्य समस्या यह है कि ब्रम्ह कण से ऊर्जा पाने के लिए उसे किसी बाहरी ऊर्जा का रिएक्शन चाहिए होता है, जैसे की परमाणु की एटॉमिक ऊर्जा। मुझे इस कार्य को पूरा करने के लिए तुम्हारी मदद चाहिए नागराज। मैं अपनी सीमित मानसिक शक्ति से ब्रम्ह कण को केवल उतना ही चार्ज कर पाया हूँ की तुमसे मानसिक संपर्क बना सकूँ। लेकिन तुम्हारी मानसिक शक्ति असीमित है नागराज वह इसे चार्ज कर देगी और मैं अपना शोध कार्य पूरा कर सकता हूँ।

मैं प्रोफेसर इब्रित विकराल की मदद के लिए तैयार हो गया। लेकिन उन्होंने इस कार्य को शुरू करने से पहले उन्होंने मुझे एक रिसेप्टर डिवाइस दे दिया
ताकि आसपास अगर कोई आपराधिक मनोभाव वाला कोई इंसान हो तो उसके संकेत मिल जाएं। मैंने ब्रम्ह कण के कंटनेर पर अपनी मानसिक तरंगे छोड़नी शुरू की और ब्रम्ह कण से ऊर्जा क्षरण शुरू हो गया। लेकिन तभी अचानक रिसेप्टर डिवाइस आसपास किसी आपराधिक मनोभाव वाले इंसान के होने के सिग्नल देने लगा और ये सिग्नल बेहद तीव्र थे, यानि आसपास कोई बड़ा खतरा था। मेरा अंदाज़ा सही था वह खतरा काफी बड़ा था और उसका नाम था सी-थरु। सी-थरु पिछले एक वर्ष से हर हफ्ते परमाणु और ध्रुव द्वारा क्षरित ऊर्जा को सोख रहा था।
सी-थरु ने मुझ पर ब्रम्ह कण की ऊर्जा का वार किया जिससे मेरी मानसिक शक्ति चार्ज होकर नियंत्रण से बाहर हो गयी। ऊर्जा का बहाव हमेशा ज़यादा से कम की और होता है, कंटेनर में मेरी मानसिक ऊर्जा के मुकाबले बहुत कम ऊर्जा थी। अब कंटेनर मेरी मानसिक ऊर्जा खींच रहा था और ब्रह्मह कण उसे बहुगुणित कर रहा था। और इस सब के बीच सी-थरु उस बहुगुणित ऊर्जा को सोख कर शक्तिशाली होता जा रहा था। उसने प्रोफेसर इब्रित विकराल के शरीर पर कब्ज़ा कर लिया और मेरे मानसिक ऊर्जा क्षरण ने मुझे इतना बेबस कर दिया था की मैं कुछ भी न कर सका। सी-थरु अपने मकसद में कामयाब होता इससे पहले एक लड़की ने बीच में आकर उसपर हमला किया। उस हमले के दौरान उस लड़की की जेब से कोई चीज़ निकल कर मेरी मानसिक ऊर्जा के बहाव के बीच आ गयी। जिससे भीषण विस्फोट हुआ और मेरी मानसिक ऊर्जा का बहाव रुक गया। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, सी-थरु का मकसद पूरा हो चुका था और वह ब्रम्ह कण की ऊर्जा सोंख कर बेहद शक्तिशाली बन गया था।"

आगे की कहानी जारी रहेगी आखिरी श्रंखला के छठे भाग "व्रह्माण्ड विखंडन" में।


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Review - Adrishya Shadyantra


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