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Story - Sarvakranti | Sarvnayak 7


लेखक: नितिन मिश्रा | चित्रांकन: सुशांत पंडा, हेमंत कुमार | स्याहिकार: विनोद कुमार, ईश्वर आर्ट्स, स्वाति । रंगसज्जा: बसंत पंडा, भक्त रंजन । शब्दांकन: नीरू, मंदार । संपादक: मनीष गुप्ता 

संख्या/कोड: SPCL-2605-H | भाषा: हिंदी |  पृष्ठ: 96 । मूल्य: 90.00  

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Story Sarvakranti - Sarvnayak Series


कहानी सर्वक्रान्ति | सर्वनायक सीरीज राज कॉमिक्स:




र्वनायक श्रृंखला का सातवाँ भाग "सर्वक्रान्ति" मेरी उम्मीदों से ज़रा सा कम साबित हुआ। पिछले भाग "सर्वसन्धि" के मुक़ाबले यह भाग थोड़ा कमजोर है, अपनी छाप नहीं छोड़ पाया। ऐसा क्यों है? इसके बारे में हम विस्तार से बात करेंगे सर्वक्रांति की समीक्षा में। तो आइये अब कहानी की ओर बढ़ते हैं।

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 नोट:-
पूरी कॉमिक्स में कहीं भी घटनाक्रम नंबर्स में नहीं दिखाए गए हैं। यहाँ पर दिए गए दृश्य नंबर्स का मकसद केवल पाठकों को घटनाक्रम समझाना है।

कहानी सार: 


प्रस्तावना: वर्ष 5099 में ध्रुव और धनजंय के वारिस आपस में उलझे हुए हैं। धनजंय का वारिस स्वर्णनगरी के तबाही के लिए ध्रुव वंश को ज़िम्मेदार मानता है और उससे बदला लेना चाहता है।

दृश्य 1 (भाग 1): संजीवनी की तलाश में निकले भेड़िया और अश्वराज मिलकर रास्ते में आये अवरोधों को हटते हैं। भेड़िया संजीवनी अौषधि को पहले ढून्ढ लेता है। लेकिन अश्वराज कूटनीति से संजीवनी प्राप्त कर डोगा और योद्धा दोनों को मूर्छावस्था से वापस लाता है।

दृश्य 1 (भाग 2): विस्तृत ब्रह्माण्ड रक्षकों और महाखलनायकों द्वारा किये जा रहे समुद्रमंथन में से पहली तामसिक महाशक्ति उत्पन्न होती है। रोबो उसे रोकने का काम नाशकेतु को सौंपता है, लेकिन नाशकेतु उसे रोक नहीं पाता। वह तामसिक शक्ति संजीवनी की तलाश में हिमालय जा पहुंचती है और वहीं भेड़िया और अश्वराज के हाथों उसका अंत होता है।

दृश्य 2 : वॉर मुख्यालय, गर्भ-ग्रेह में नक्षत्र विदूषक को रोकने की कोशिश कर रहा है। तभी प्रिंसिपल और उसके साथी वहां आ पहुँचते हैं और नक्षत्र पर हावी हो जाते हैं। लेकिन नक्षत्र वॉर मुख्यालय की सुरक्षा का इकलौता सिपाही नहीं है। बैडमैन भी अपने कुछ दोस्तों के साथ मैदान में आ जाता है। कुछ ही देर में नक्षत्र, बैडमैन और उनके साथी अपराधियों को धूल चटा देते हैं और सबको वॉर मुख्यालय की जेल में पहुंचा देते हैं। लेकिन प्रिंसिपल के इरादे कुछ और ही है। दरअसल वह यहाँ तक अपनी मर्जी से और अपने प्लान के तहत पहुंचा है। जेल के भीतर वह अपने मुख्य मोहरे स्टीमर को भी अपने साथ ले आया है।

दृश्य 3 : डोगा और योद्धा के होश में आने पर उनके बीच चौथी स्पर्धा शुरू होती है ईगल ग्रह पर। जहाँ रानी ईगा और जनरल उक़ाबु के बीच कई वर्षों से अनिश्चितकालीन युद्ध चल रहा है। और यह युद्ध है उड़ाकूओं की सबसे बड़ी शक्ति प्राका को हासिल करने के लिए। इस प्रतियोगिता में डोगा और योद्धा का काम है प्राका को हासिल करना है और उसे उसके योग्य हक़दार तक पहुँचाना है। योद्धा समझदारी से निर्णय लेते हुए ईगा को प्राका का योग्य अधिकारी को चुनता है और डोगा से पहले प्राका को हासिल कर उसे रानी ईगा को सौंप देता है। इसी के साथ योद्धा चौथी स्पर्धा में विजय हासिल कर लेता है। प्राका जोकि असल में रानी ईगा की ही बेटी है और अब वह तंत्र बंधनों से आज़ाद है। प्राका योद्धा को बचन देती है कि भविष्य में एक बार वो उसके आह्वान पर अपनी सेना समेत उसकी और से उद्ध लड़ेगी।

दृश्य 4: आसाम के जंगलों में भड़के भीषण दावानल को रोकने हेतु काइगुला, अल्फांटो, बागड़ बिल्ली और दोदंड जैसे जंगल के पुराने और कुख्यात अपराधी आगे आते हैं। सब मिलकर भीषण दावनल से जंगल और जंगलवासिओं की रक्षा करते हैं।

दृश्य 5: डोगा और योद्धा के बीच पांचवी और निर्णायक स्पर्धा शुरू करवाने से पूर्व युगम असुरराज शम्बूक और देवराज इंद्र को युगम क्षेत्र बुलाता है और उन्हें डोगा और योद्धा में से किसी एक पर दांव लगाने को कहता है। दांव हरने वाले को जीतने वाले महानायक के आह्वान पर जीवन में एक बार उसकी मदद के लिए आना होगा। असुरराज दांव लगाते हैं डोगा पर और देवराज अपने भ्राता योद्धा पर। इसी के साथ शुरू होती है निर्णायक स्पर्धा, हस्तद्वंद यानी आर्म रेसलिंग मैच।

दृश्य 6: भविष्य में चण्डकाल और नासन अपने अतीत को लेकर चिंतित हैं। उन्हें इस बात की चिंता है कि जो ताकतें उन्हें अतीत में हरा चुकी हैं, वह उनके भविष्य में आकर उन्हें हरा न दे। इसलिए वह भविष्य और अतीत के बीच सारे द्वार बंद करना चाहते है और इसके लिए उन्हें चाहिए त्रिफना। त्रिफना जिसकी सहायता से भूतकाल अथवा भविष्य कहीं भी जाया जा सकता है। चण्डकाल और नासन की चिंता बेवजह नहीं थी। अचानक एक आयामद्वार खुलता है और उसमें से एक पुण्य शक्ति बहार आती है, जिसका नाम है "नागेश"।


आगे की कहानी जारी रहेगी "सर्वशक्ति" में, जिसमे न केवल डोगा और योद्धा बल्कि होगी कई पुण्य और तामसिक शक्तियों की आजमाइश।


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