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Story Vishkshetra Sanrakshanam Sarvnayak Vistaar-3

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Story - Vishkshetra Sanrakshanam
Sarvnayak Vistaar-3

परिकल्पना: नितिन मिश्रा । लेखक: अनुराग कुमार सिंह ।  चित्रांकन: हेमंत कुमार । स्याहिकार: विनोद कुमार, ईश्वर आर्ट्स, स्वाति चौधरी । रंगसंयोजन: सुनील दसतुरिया, मोहन प्रभु । शब्दांकन: नीरू, मंदार । संपादक: मनीष गुप्ता 

कोड/क्रम संख्या: SPCL-2606-H ।
भाषा: हिंदी । पृष्ठ: 64 | मूल्य: रु 60.00

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Story Vishkshetra Sanrakshanam


कहानी - विषक्षेत्र संरक्षणम् | सर्वनायक विस्तार श्रृंखला | राज कॉमिक्स


र्वनायक विस्तार श्रृंखला का तीसरा पड़ाव, विषक्षेत्र संरक्षणम्। कॉमिक्स में बाकी सब कुछ हुआ, बस एक विषक्षेत्र संरक्षण को छोड़कर। मैं उम्मीद कर सकता हूँ की पाठक अगर इस कॉमिक्स से खासे खुश नहीं होंगे तो नाखुश भी नहीं होंगे। मेरी नजर में यह कॉमिक औसत है, न तो बेहद बढ़िया और न ही बिलकुल खराब। तो आइये कहानी की और रुख करते हैं।


 नोट:-
पूरी कॉमिक्स में कहीं भी घटनाक्रम नंबर्स में नहीं दिखाए गए हैं। यहाँ पर दिए गए दृश्य नंबर्स का मकसद केवल पाठकों को घटनाक्रम समझाना है।

कहानी सार: 

दृश्य 1 - मुंबई: कहानी की शुरुआत होती है कुछ समय पहले मुंबई से, जहाँ डोगा कालू यानि काल पहेलिया की तलाश में है। हस्पतालों से गायब हो रही लाशों और कालू के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान मम्मियों द्वारा हमला, डोगा इन दोनों घटनाओं के बीच की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश कर रहा है। इसी कोशिश में डोगा कुछ बदमाशों का पीछा करते हुए उस जगह तक जा पहुँचता है, जहाँ इन मम्मियों का निर्माण किया जा रहा है। और ये सब करवा रहा है बाबाखाटू, जोकि मिस्र के फराहो तूतन खामन का सेवक है। डोगा बाबाखाटू का मुकाबला करता है और उसे खत्म कर देता है। तभी वहां कालू अपने नए साथी फराहो के साथ आ पहुँचता है। फराहो का मकसद डोगा को मम्मी बना कर अपने साथ मिलाना है।



दृश्य 2 - वेदाचार्य धाम महानगर: वेदाचार्य भाविष्य के खतरे को महसूस करते हुए उसकी रोकथाम की कोशिश कर रहा है। और इस मकसद से वह भारती यानि फेसलेस को एक महत्वपूर्ण कार्य सौंपता है, जिसपर हजारों वर्षों बाद का भविष्य निर्भर करता है। उस महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने हेतु वेदाचार्य फेसलेस को एक आयामद्वार के जरिये किसी अन्य आयाम में भेज देता है।

दृश्य 3 - त्रिनाग पर्वत द्वापरयुग: बरबराक का अंत करने पश्चात अश्वराज और गोजो आगे बढ़ते हैं,  लेकिन प्रेतात्माएँ उनका रास्ता रोक लेती हैं। प्रेतात्माओं से बचने का कोई रास्ता नहीं सूज रहा था कि तभी अचानक अश्वराज एक दिव्य श्वेत अश्व में बदल जाता है और सभी प्रेतात्माओं का संहार कर देता है। अश्वराज अब तक खुद भी अपनी इस दिव्य शक्ति से अनभिज्ञ था। अभी इस मुसीबत से पीछे छूटा ही था की नाग्रीट नाम का एक और खतरा उनका रास्ता रोक लेता है। अश्वराज और गोजो दोनों मिलकर उसका अंत करते हैं और किले में प्रवेश करते हैं। किले के भीतर वह देखते हैं कि कुदूम और बिजलीका एक पिंजरे में कैद है, जिसपर उनकी शक्ति बेअसर है। तभी उनका सामना त्रिसर्प संधि से होता है, दोनों ओर से एक दूसरे की शक्ति आजमाईश शुरू हो जाती हैं। 

दृश्य 4 - त्रिनाग पर्वत कलियुग: अंजान खतरे से नागनिरंजनी की सुरक्षा करने आए नागराज के मित्र नाग त्रिनाग पर्वत आ पहुँचते हैं। जहाँ वह देखते हैं कि नागनिरंजनी के लिए खतरा और कोई नहीं बल्कि नागराज एवं नागू का पुराना दुश्मन करणवशी है। सभी नाग मिलकर करणवशी को रोकने की कोशिश करते हैं और तक़रीबन रोक भी लेते हैं। लेकिन तभी वहां नागराज का एक और पुराना और खतरनाक दुश्मन थोडांगा भी आ पहुँचता है। थोडांगा उन सब पर भारी पड़ता है, उसे रोकने की कोशिश में सब नाग सम्मिलित विष्फुंकार का प्रयोग करते हैं। लेकिन मुसीबत ख़त्म होने के बजाय बढ़ जाती है। उस स्थान पर अत्यधिक विष प्रयोग की वजह से नागनिरंजनी अनियंत्रित हो जाती है और अब नाग चाह कर भी अपना विष्क्षरण नहीं रोक पा रहे हैं। नागनिरंजनी उनके साथ साथ संसार के सभी विषधरियों का विष गर्हण करके उसे दुगना कर वातावरण में फैलाना शुरू कर देती है। इस स्तिथि से बचने के लिए सौडांगी अपनी तंत्र शक्ति, नागू की मणि शक्ति और अन्य नाग मित्रों की इच्छाधारी शक्ति की मदद से एक आयामद्वार खोलती है। नागराज के मित्र नाग अब नागनिरंजनी को लेकर आयामद्वार के उस पार जाने वाले है। वह खुद भी नहीं जानते कि इस आयामद्वार के पार उन्हें क्या देखने को मिलेगा, लेकिन इसके अलावा अब और कोई चारा भी नहीं है।

दृश्य 5 - नागरानी के आयाम पर: नागमणि और नागदंत से अपने पुत्र की रक्षा करने के लिए नागराज नागरानी के साथ उसके आयाम जा पहुँचता है और नागदंत से टकरा जाता है। नागदंत की बढ़ी हुई शक्तियों के कारण दोनों के बीच काफी देर तक युद्ध चलता है। लेकिन अंत में नागराज अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए नागदंत पर काबू पा लेता है। लेकिन नागमणि की तरफ नागराज एवं निगरानी के बढ़ते हुए कदम स्थिर हो जाते हैं, जब वह देखते हैं कि उनका बेटा नागीश पूरी तरह से नागमणि के काबू में है। वह चाह कर भी अपने पुत्र और खुद की मदद करने में असक्षम हैं। तभी नागदंत भी अपने होश सम्भाल वहां आ जाता है और दोनों पर घातक हमला शुरू कर देता है। अपने पुत्र समेत नागराज और नागरानी दोनों ही खतरे में थे, की तभी एन वक़्त पर फेसलेस वहां आता है और उन्हें एक मौका दे देता है। नागराज इस मौका का भरपूर फायदा उठाता है और सारा पासा ही पलट देता है। नागराज एक बार फिर से नागदंत और नागमणि को तिलिस्मी आयाम में कैद कर देता है और फेसलेस उस पर तलिस्मी अवरोध लगा कर उसे पूरी तरह से बंद कर देता है।

दृश्य 6 - महानगर वर्तमान समय: फेसलेस वेदाचार्य द्वारा दिए गए कार्य को पूरा कर, नागराज के पुत्र की पहली केंचुली और रक्त लाने में सफल होता है।

आगे की कहानी के लिए इंतजार कीजिये "स्वर्णनगरी की तबाही" का।





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